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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हरियाणा के ऐसे गांव जहां हर साल होता है लॉकडाउन, महामारियों से जीतने की है परंपरा

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- विदेशों से पहले भी आई हैं महामारियां, हरियाणा के गांवों में सालों से चली आ रही लॉकडाउन की परंपरा - कोरोना वायरस से बचाव में लॉकडाउन से लोगों  को घबराने की बजाय सरकार ने मांगा सहयोग - 1918 में आई कार्तिक की बीमारी में ही हरियाणा में हुई थी 2.20 लाख मौतें जितेंद्र बूरा. कोरोना वायरस का संक्रमण चीन के वुहान से शुरू होकर दुनियाभर में फैला और भारत में भी विदेशों से आए लोगों के माध्यम से पहुंचा। संक्रमण से बचाव के लिए प्रभावित देशों में लॉकउाउन यानि जरूरी चीजों को छोड़कर सबकुछ बंद किए जाने लगे। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू लगाने की अपील की कि लोग खुद घरों से बाहर न निकलें। हरियाणा में कई गांव ऐसे हैं जहां सालाना एक दिन लॉकडाउन की परंपरा है। देश में पहले भी विदेशों से महामारियां आती रही हैं। वर्ष 1918 में  पहले विश्वयुद्ध के वक्त फैले स्पैनिश फ्लू  से हरियाणा में ही 2.20 लाख मौत हुई थी। इसे कार्तिक की बीमारी भी कहा गया। तब से गांवों को हिंदू कैलेंडर के भादो माह से कार्तिक के माह के बीच किसी एक या दो दिन बंद यानि लॉकडाउन करने की परंप...

ऑर्गेनिक खेती कारोबार बढ़ाने को छह जिलों के 90 किसानों ने बनाया क्लब, 300 एकड़ में खेती कर कमा रहे मुनाफा

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एक दूसरे की सलाह से कर रहे उत्पादन और मार्केट की तलाश कृषि विज्ञान केंद्र सोनीपत के प्रयासों से शुरू हुई नई पहल, लग रही जागरूकता कार्यशालाएं जितेंद्र बूरा. बढ़ती बीमारियों के बीच शुद्ध उत्पादों की डिमांड बढ़ रही है। इसी मार्केट को भांपते हुए खाद व दवाईयों की जहरीली खेती से दूर होकर ऑर्गेनिक खेती की तरफ किसान बढ़ रहे हैं। सोनीपत कृषि विज्ञान केंद्र विशेषज्ञों के प्रयासों से सोनीपत व आसपास के आठ जिलों के 90 ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को एकजुट कर क्लब बनाया गया है। 300 से अधिक एकड़ में अलग-अलग तरह की खेती कर अपने प्रोडेक्ट तक ये किसान तैयार कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक ही नहीं, खेती में पदमश्री सोनीपत के कंवल सिंह चौहान, पानीपत के नरेंद्र डिडवाड़ी भी इस ग्रुप में जुड़े हैं। ग्रुप में आपसी सलाह से फसल उत्पादन और मार्केट तलाश कर अच्छा मुनाफा कमाने की शुरुआत की है। खेतों में कार्यशालाएं व प्रशिक्षण कार्यक्रम कर अन्य किसानों को भी जागरूक करने का अभियान शुरू किया है। हर कोई अच्छा खाना पसंद करता है चाहे दाम कुछ ज्यादा क्यों न हो। इसी का देखते आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू क...

जाट योद्धाओं का इतिहास : देश के स्वाभिमान पर दी बलिदानियां, 13 अप्रैल को मनता है विश्व जाट दिवस

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- आठ फिरंगी नाै गौरे, लड़े जाट के दो छौरे। - जाट मरा तब जाणिए, जब तेरहवीं हो जाए। - कविता सोहे भाट की, खेती सोहे जाट की। जितेंद्र बूरा. हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन। जाट इन सब धर्मों में है। आस्थावान हैं पर कट्‌टरवादी नहीं। हक और स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे हैं, इसका इतिहास गवाह है। मुगल हो या अंग्रेजों से स्वतंत्रता संग्राम, कौम के वीरों ने लड़ते हुए बलिदानियां दी। पर इतिहास के पन्नों में खास तवज्जो नहीं मिली, जिससे आने वाली पीढ़ियां जान सकें। पहले कबिलाई तरीके से रहे होंगे, लेकिन बदलते समय के साथ कृषि प्रमुख व्यवसाय इनका बना और अन्नदाता की पहचान बनाई। आजाद भारत में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में प्रमुखत: रहते हैं। महज आरक्षण आंदोलन से जाट की पहचान हो यह उचित नहीं, बल्कि आरक्षण आंदोलन से फिर एकजुट होकर दुनिया की नजरों में आई इस कौम का इतिहास शूरवीरों के बलिदानों से भरा है। हर साल 13 अप्रैल को बैशाखी पर विश्व जाट दिवस भी मनाया जाने लगा है। कृषि, व्यवसाय, खेल और सीमा पर सुरक्षा में अपनी बहादुरी के झंडेे गाड़ रहे जाट समाज के वीरों द्वारा जात-धर्म से ऊपर उठकर देश ...

किस्सों और परंपरा की है हरियाणा में होली - फाग

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- सोशल से... सोशल मिडिया तक सिमट रही होली के अनोखे किस्से - हरियाणा के गांवों में अनोखे हैं होली के किस्से, भाभियों के कोरड़ों का सप्ताह में उतरता है रंग जितेंद्र बूरा. कच्ची अंबरी गदराई सामण मैं.. बू ढ़ी लुगाई मस्ताई फागण मैं..। इन्ही लोक गीतों से रंगीन है हरियाणा की होली। यहां भाभियों के गीले कोरड़े बदन पर बारिश की तरह पड़ते हैं, नागिन की तरह लिपटते हैं। हाेली का रंग तो धोने से उतरता है लेकिन कोरड़ों से शरीर पर पड़ा नीला रंग जितना धोएं, उतना निकलता है। अकसर महिला दिवस के बाद होली आती है और स्वाभिमान से भरी महिलाएं पूरे साल का हिसाब- किताब इस दिन ही पुरुषों से लेती हैं। दिनभर चौक, चोराहों पर  पानी और रंग उड़ेलते युवाओं की टाेली। डंडा हाथ में लेकर भीगे बंदन में कपड़े से बने महिलाओं के कोरड़ों से बचने का प्रयास करते हैं। चाची, ताई, भाभी ही नहीं दादी से भी उसके नेग यानि उसके हम उम्र देवर खेलने को घरों पर दस्तक देते हैं। ठहरिए..ठहरिए जनाब...। किस जमाने की बात कर रहे हैं..। होली पर मन में उठकर जुबान पर आए इन ख्याल को आखिर विकास ने बीच में टोककर रुकने की लाल बत्ती दिखा दी। लं...