ऑर्गेनिक खेती कारोबार बढ़ाने को छह जिलों के 90 किसानों ने बनाया क्लब, 300 एकड़ में खेती कर कमा रहे मुनाफा


एक दूसरे की सलाह से कर रहे उत्पादन और मार्केट की तलाश

कृषि विज्ञान केंद्र सोनीपत के प्रयासों से शुरू हुई नई पहल, लग रही जागरूकता कार्यशालाएं


जितेंद्र बूरा.

बढ़ती बीमारियों के बीच शुद्ध उत्पादों की डिमांड बढ़ रही है। इसी मार्केट को भांपते हुए खाद व दवाईयों की जहरीली खेती से दूर होकर ऑर्गेनिक खेती की तरफ किसान बढ़ रहे हैं। सोनीपत कृषि विज्ञान केंद्र विशेषज्ञों के प्रयासों से सोनीपत व आसपास के आठ जिलों के 90 ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को एकजुट कर क्लब बनाया गया है। 300 से अधिक एकड़ में अलग-अलग तरह की खेती कर अपने प्रोडेक्ट तक ये किसान तैयार कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक ही नहीं, खेती में पदमश्री सोनीपत के कंवल सिंह चौहान, पानीपत के नरेंद्र डिडवाड़ी भी इस ग्रुप में जुड़े हैं। ग्रुप में आपसी सलाह से फसल उत्पादन और मार्केट तलाश कर अच्छा मुनाफा कमाने की शुरुआत की है।

खेतों में कार्यशालाएं व प्रशिक्षण कार्यक्रम कर अन्य किसानों को भी जागरूक करने का अभियान शुरू किया है। हर कोई अच्छा खाना पसंद करता है चाहे दाम कुछ ज्यादा क्यों न हो। इसी का देखते आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू किए गए हैं। ऑर्गेनिक खेती किसान क्लब बनाया गया है। किसान आपसी सलाह से जहरमुक्त खेती कर रहे हैं। फसल और फल उत्पादन के बाद उसके बेहतर भाव के लिए खरीदार भी ग्रुप से जल्द मिल जाते हैं। सोनीपत जिले में करीब 70 एकड़ में फिलहाल देशी गोबर खाद या जैविक खाद से अलग-अलग जगह किसान अपने स्तर पर खेती कर रहे हैं। पिछले सालों में इसके परिणाम भी बेहतर आ रहे हैं।



हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय भी करेगा सहयोग

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत सोनीपत जगदीशपुर के कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि विशेषज्ञ परमेंद्र मलिक का कहना है कि यह एक नई पहल है जो धीरे-धीरे सफलता की तरफ बढ़ रहे हैं। नामी किसान और कृषि वैज्ञानिक इस ग्रुप से जुड़ रहे हैं। खेतों में अंधाधुंध खाद और दवाइयों के प्रयोग से खेतों से किसान के मित्र कीट और पक्षी खत्म हो रहे हैं। यह खेती को प्रभावित करने वाले कीटों को खत्म करते थे। भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ डॉ. जेके नांदल ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इसको लेकर चिंतित हैं। ऐसे में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू किए गए हैं।

ग्रुप में लेते हैं सलाह, उत्पादों का बढ़ाया कारोबार

पदमश्री कंवल सिंह चौहान का कहना है कि समय के साथ खेती में बदलाव लाएं तो यह फायदे का सौदा हो सकता है। ऑर्गेनिक खेती के लिए बने ग्रुप से जुड़कर वाट्सएप और अन्य तरीके से सलाह भी लेते हैं और मार्केट भी तलाश रहे हैं। अपनी ही खेती से उत्पाद बनाकर कारोबार कर रहे हैं। खानपुर में अमरुद का बाग लगाने वाले संजय मलिक और राई में बाग लगाए हुए रमाकांत त्यागी ने कहा कि आॅर्गेनिक तरीके से अमरुद तैयार कर मार्केट में बेच रहे हैं। इससे अच्छे भाव मिलते हैं। दिलपालपुर के किसान चेतराम ने बताया कि किसान आॅर्गेनिक खेती की तरफ चला तो जाए लेकिन बेहतर मार्केट उत्पाद बेचने के लिए नहीं है। कई किसान दिल्ली में विभिन्न फर्म से सीधे संपर्क कर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। कुरुक्षेत्र के नहरा गांव के राजकुमार 13 साल से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं।


अपने क्षेत्र के किसानों को कर रहे जागरूक

ग्रुप से हिसार, जींद, कुरुक्षेत्र, सोनीपत, पानीपत, झज्जर, सिरसा के जिलों के किसान जुड़ चुके हैं। उत्तर प्रदेश और दिल्ली से कृषि विशेषज्ञ भी ग्रुप में परामर्श के तौर पर जुड़े हैं। ये किसान अब अपने एरिया में रोल माॅडल के तौर पर आसपास के किसानों को भी ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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