सोनीपत दिवस : इतिहास के पन्नों से लेकर वर्तमान भी उपलब्धियों से है भरा
Happy Birthday Sonipat
पं० दीपक शर्मा (जांटी कलां) का सोनीपत जिले को लेकर लिखा लेख।
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22 दिसंबर 1972 को रोहतक जिले से अलग होकर सोनीपत अपने अलग अस्तित्व में आया।
"सोने का शहर" सोनीपत का इतिहास बहुत पुराना है महाभारत में श्री कृष्ण द्वारा कोरवो से 5 गांव मांगें गए थे जिनमें एक नाम सोनीपत का था। उस समय सोनीपत का नाम स्वर्णप्रस्थ नगरी था। यह भी अवधारणा है कि श्रवण कुमार के नाम पर इसका नाम सोनीपत पड़ा था।
2,122 वर्ग किलोमीटर में सोनीपत जिला फैला हुआ है 6 विधानसभाओं (सोनीपत, राई, गोहाना, गन्नौर, बरोदा, खरखोदा) को जोड़ते हुए सोनीपत जिला लोकसभा की सीट भी है जिसमें जींद जिला भी आता है।
हरियाणा के मध्य - पूर्व में स्थित सोनीपत इसके उत्तर में हरियाणा का ही जिला पानीपत, पश्चिम में जींद, दक्षिण में झज्जर, रोहतक तथा पूर्व में यमुना नदी से लगता हुआ उत्तर प्रदेश राज्य है साथ में यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगता हुआ जिला है।
देश को आजादी दिलाने से लेकर देश की राजनीति में, व्यापार, शिक्षा, संस्कृति, खेल, उद्योगो आदियों से लेकर सोनीपत की अहम भूमिका रही है। स्वतंत्रता सेनानी बाबू मूलचंद जैन जी (1915-1997) सिकंदरपुर माजरा गोहाना सोनीपत निवासी ही थे। गांव लिवासपुर निवासी क्रांतिकारी उदमीराम नंबरदार एवं गांव शामड़ी निवासी 12 नंबरदारो ने आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने भी आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संपूर्ण भारत के अकेले ऐसे योद्धा जिनको जीते जी वीर चक्र प्राप्त हुआ ऐसे स्वतंत्रता सेनानी चौधरी होशियार सिंह दहिया सिसाना खरखौदा निवासी इसी सोनीपत जिले में पैदा हुए। देश की सीमा पर सोनीपत जिले के लगभग हर गांव से जवान देश की सेवा कर रहा है साथ ही बहुत से वीर सैनिकों ने सीमा पर अपना बलिदान भी दिया है। संसद हमले में राठधना गांव निवासी नानक चंद ने भी अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले सुप्रसिद्ध सांगी सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद जांटी कलां निवासी का जन्म सोनीपत में ही हुआ। दादा लख्मीचंद पर बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध अभिनेता माननीय यशपाल शर्मा (हिसार वाले) ने दादा लख्मीचंद पर फिल्म बनाकर सोनीपत हरियाणा का नाम विश्व पटल पर पहुंचा दिया है इस फिल्म को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ है साथ ही इस फिल्म को 68 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इस फिल्म को इतनी बड़ी उपलब्धि के कारण सोनीपत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया। फिल्म का नाम है "दादा लख्मी"।
इसके साथ पंडित मांगेराम (सिसाणा- पाण्ची) दादा मांगेराम ने तो गजब की बात कही है (1972 से पहले)
"रोहतक है जिला हमारा हरियाणे में नाम
सोनीपत तहसील लागती पाण्ची से गाम
आशिकी म्ह सांग सिख्या जमीदारा काम
लख्मीचंद गुरु जांटी आले गंगा कैसा धाम
मांगेराम ने सांग सिख्या लूटपीट के"
इनके साथ-साथ पंडित दीपचंद खाण्डा निवासी, बाजे भगत सिसाणा निवासी, खेमचंद सांगी गोरड़ निवासी, पंडित चदंन लाल सांगी बजाणा, टेक चंद सांगी नयाबास, पंडित तुले राम सांगी जांटी कलां, वर्तमान में पंडित विष्णु दत्त सांगी जांटी कलां, पंडित जयनारायण सांगी कुराड़, जाट मेहर सिंह बरोणा, श्योनाथ त्यागी सांगी, सत्ते कथूरवाल लोकगायक, स्वं० मां० सतबीर भैंसवाल, पं० संदीप है सवाल, स्व० पालेराम हलालपुर, रणबीर बड़वानी, सते फरमाणीया, आनंद तुषीर रागणी गायक जांटी कलां आदि जैसे महान सांगी-गायको का जन्म यहां पर हुआ है।
विषेश बिंदु:- "सोनीपत का मध्यकालीन इतिहास में मूर्ति कला"
वर्तमान जिला सोनीपत पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध रहा है। सोनीपत की पहचान महाभारत कालीन स्वर्णप्रस्थ नगर से होती है जिसका उल्लेख महर्षि पाणिनि ने मौर्यकाल में रचित अपनी पुस्तक अध्याय में किया है।
वास्तव में सोनीपत का प्राचीन इतिहास महाभारत काल से भी पूर्व सिंधु सरस्वती सभ्यता के समकालीन है। पूर्व हड़प्पा काल की मृदभांड ग्राम रिढ़ाणा (गोहाना तहसील) से प्राप्त हुए हैं। चित्रित धूसर मृदभांड जोकि महाभारत कालीन माने जाते हैं सोनीपत के कई स्थानों से जैसे कासंडी गांव छपरा घढ़वाल, आहुलाना, खानपुर, नूरन खेड़ा, अकबरपुर बरोटा आदि से प्रकाश में आए हैं।
पुरातात्विक साक्ष्यों के अतिरिक्त मूर्तिकला एवं वास्तुकला के साक्ष्य भी सोनीपत जिले से प्राप्त हुए हैं। ग्राम धतूरी जोकि सोनीपत मुख्यालय से 2 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में जीटी रोड से (पक्की मिट्टी) टेराकोटा नारी का शीर्ष प्राप्त हुआ है जो गुप्तकाल का उत्कृष्ट नमूना है। गांव फाजिलपुर से भी शेष शैया पर लेटे विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई है जो सोनीपत मुख्यालय से 4 किलोमीटर पूर्व में है। ग्राम कुमासपुर (प्राचीन कामस धम्म नगर) से भी भगवान बुध की प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई है।
मध्यकाल में यह क्षेत्र अनेक देवालों एवं पुस्तकालय के अवशेषों से परिपूर्ण था। सतकुम्भा तीर्थ वैदिक काल के इतिहास की महत्वपूर्ण कड़ी है इसी क्षेत्र में ऋषि मुनियों ने कुशाल वज्रों से राजा वैन्य की हत्या कर दी थी क्योंकि राजा वैन्य यज्ञ विरोधी था। सोनीपत प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित ऐसा नगर था जिस का बहुत महत्व था। पूर्व जनपद से वस्तुओं को सोनीपत के समक्ष यमुना सिटी पाटन से पार किया जाता था।
श्री कृष्ण की तीन यात्राएं महाभारत में वर्णित है जो रथ से हस्तिनापुर मार्ग दर्शाती है। यह मार्ग बैराठ, इंद्रप्रस्थ से स्वर्णप्रस्थ (सोनीपत) होकर वृकस्थल (बागपत) होकर वार्णावत और हस्तिनापुर पहुंचता था।
*** आज आधुनिकता के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी से युक्त सोनीपत मेकिंग इंडिया से जुड़े हुए शिक्षा का हब बनता जा रहा है। हरियाणा की एकमात्र पहली खेल यूनिवर्सिटी "हरियाणा खेल यूनिवर्सिटी" बीसवां मील, राजीव गांधी एजुकेशन सिटी में नए-नए विश्वविद्यालय निफ़्टम कुण्डली, भीमराव अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, अशोका यूनिवर्सिटी राई, श्रीराम यूनिवर्सिटी, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर कलां, दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी मुरथल, ॠषिवुड यूनिवर्सिटी बहालगढ़, ओ० पी० जिंदल यूनिवर्सिटी आदि सैकड़ों शिक्षण संस्थाएंओ के साथ-साथ राई इंडस्ट्री एरिया, गन्नौर में बड़ी इंडस्ट्रीज एरिया, गन्नौर रेलवे कौच फैक्ट्री, बड़ी इंडस्ट्री, विश्व विख्यात सोनीपत की एटलस साइकिल कंपनी यही विद्यमान है। दो वर्ष पहले खरखौदा में मारूति सुजुकी की नींव रखी गई है जो सोनीपत के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। जिससे सोनीपत के उधोग को चार चांद लग गए है। गन्नौर बड़ी ड्राईफ्रुट मंडी और गांव सेरसा जांटी में मसाले व फ्रुट मंडी हाल ही में भारत सरकार ने पास की है।
शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता, स्वाभिमान, खेल, लोक कलाकारों के साथ, फिल्मो में, उद्योग में, व्यापारियों में एवं राष्ट्र सेवा में समर्पित सोनीपत का हर व्यक्ति अपनी ताकत का लोहा मनवा रहा है। सोनीपत दो सगी बहने एक मेघना मलिक फिल्मों में तो दूसरी मिमांशा मलिक जी न्यूज एंकर में अपनी प्रतिभा से सोनीपत की शान बढ़ा रही है! मशहूर भजन गायक कुमार सानु भी सोनीपत से ही रहे है।
अंकित बैयापुर 75 फिटनस रिकॉर्ड बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी से मिलकर सोनीपत का नाम गर्व से ऊचां कर दिया है आज अंकित का हर कोई दिवाना बन गया है। इसके साथ सोनीपत से हजारों व्यक्ति देश सेवा में आईएएस आईपीएस एवं बड़े-बड़े अधिकारियों के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
देश के सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में वर्तमान में सोनीपत लोकसभा से माननीय पं० सतपाल ब्रहमचारी जी इस लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे है।
वर्तमान राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री मोहन लाल बड़ौली भी सोनीपत से ही है साथ ही विधानसभा में
गोहाना - कैबिनेट मंत्री श्री अरविंद शर्मा जी
सोनीपत - निखिल मदान
राई - श्रीमती कृष्णा गहलावत
खरखौदा - पवन खरखौदा
गन्नौर - देवेंद्र कादयान निर्दलीय
बरोदा - इंदूराज नरवाल काग्रेस से हरियाणा विधानसभा में अपने अपने क्षेत्र के विकास को बढ़ा कर सोनीपत के विकास को पंख लगा रहे है।
ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वरदत्त भैंसवाल निवासी, ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल (जैवलिन थ्रो) खेवड़ा निवासी एवं रजत पदक विजेता रवि दहिया (कुश्ती) नाहरी गांव निवासी एवं कांस्य पदक विजेता सुमित कुमार (हाकी) कुराड़ गांव निवासी ने खेलों में अपना बेहतर प्रदर्शन दिखाते हुए सोनीपत जिले का नाम गौरवान्वित किया है। इसके साथ खेलों में हजारों खिलाड़ीयों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त किए हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 2022 भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्राप्त करके श्री काजल कौशिक ने (NSS में) खाति प्राप्त की है। हाल ही में निदेशक के लिए बेस्ट डारेक्टर पुरस्कार मुबंई में पं० मोहित शर्मा सुपौत्र पं० सत्यनारायण शर्मा रोहणा वाले ने प्राप्त करके सोनीपत का नाम गौरवान्वित किया है।
आजादी के आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले चौधरी टीकाराम जी गांव (मंडोरा निवासी) सोनीपत में चौधरी छोटूराम जी के साथ मिलकर जाट संस्था की नींव रखी और बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी घर की कड़ी उतारकर सोनीपत में स्कूल निर्माण करवाएं। शिक्षा के क्षेत्र में सोनीपत जिले में हिंदू संस्थाओं का भी नाम अव्वल रूप से रहा है आज वर्तमान में बच्चों को दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं बल्कि सोनीपत में ही दूसरे जिलों और राज्यों से बच्चे आकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा के लिए कोचिंग लेने लिए ICS कोचिंग सेंटर डारेक्टर परिमल कुमार, हार्टोन कम्प्यूटर सेंटर का नाम सम्पूर्ण भारत में जाना जा रहा है जो आज सोनीपत की शान बने हुए है।
श्री कंवल सिंह चौहान गांव अटेरना निवासी पदम श्री पुरस्कार कृषि क्षेत्र में पर्याप्त किया है। आज कवंल सिंह चौहान जी कई राज्यों एवं विदेशों में भी भारतीय कृषि तकनीक को बढ़ावा देने के लिए उनको बुलाकर कृषि का ज्ञान लिया जाता है।
हंस फोटो स्टूडियो सोनीपत का सबसे पुराना स्टूडियो पं० सत्यनारायण शर्मा रोहणा निवासी (स्वतंत्रता सेनानी) के मशहूर फोटोग्राफर रहे जिन्होने कई मुख्यमंत्रीयो के साथ काम किया जो आज भी बरकरार है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की टीम वरिष्ठ सदस्य डां० पूर्णमल गौड़ जी, कवि अशोक बत्तरा जी लेखक व कवि एडवोकेट पं० रामधन शर्मा, पं० कलाश्री के अध्यक्ष पं० नरेश आकाश जी, सहित्य के ज्ञानी व लेखक प्रों० संतराम देशवाल जी आदि कविताओ में, पुस्तकों लेखन में देश में नाम कमा रहे है जो इसी सोनीपत के धरा के लाल है ।
गांव खेवड़ा में CRPF केम्प, साई स्टेडियम बहागढ़, सुभाष स्टेडियम सोनीपत, गोहाना में प्रवेश करते है भगवान परशुराम की मुर्ति सोनीपत की सबसे ऊंची प्रतिमा का दर्शय भी मनमोहक है। कुंडली में हाइवे पर ही निर्माणाधीन महाराजा अग्रसेन मदिंर भी सोनीपत का चरचित स्थल बन रहा है। आज हरियाणा भारी वाहन चालक प्रशिक्षण संस्थान सोनीपत के मुरथल में स्थापित है। आज सोनीपत रेलवे जंक्शन बन चुका है दिन प्रतिदिन नए-नए नेशनल हाईवे एवं सड़कों की कनेक्टिविटी बढ़ती जा रही है। KMP & KGP, कुण्डली मानेसर पलवल हाईवे और कुण्डली गाजियाबाद पलवल हाईवे ने तो दिल्ली का कोरिडोर बनाकर सोनीपत से यात्रियों का सफर आसान बनाकर सोनीपत ने अपना नाम बढ़ा लिया है। साथ ही सरकार द्वारा प्ररित मेट्रो रेल प्रोजेक्ट व KMP व KGP रेपिड मेट्रो प्रोजेक्ट पर भी कार्य प्रगति पर है जो सोनीपत के विकास व उघोग में मील का पत्थर साबित होगा। सोनीपत जिला के बीच से नेशनल हाईवे 44 (जी० टी रोड़) ऐसा रोड़ है जो भारत के कई राज्यों से होकर गुजरता है साथ ही पाकिस्तान तक यह रोड जाता है।
डॉक्टर D.V. शर्मा जी के नेतृत्व में सोनीपत की पुरानी जेल (अंग्रेजों के समय की जेल) जो मुरथल अड्डे से हलवाई हट्टे वाली गली में है उस जेल को राष्ट्रीय संग्रहालय में तब्दील किया जा रहा है जो सोनीपत की सांस्कृतिक धरोहर बन कर उभरेगा।
मां भारती रक्तवाहिनी सोनीपत की टीम आज पूरे भारत देश में रक्त दान केम्प लगवाने व ज्यादा से ज्यादा युवाओं के प्रेरित करके रक्त दान केम्प लगवाकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी ही है इस संस्था को कई बड़े राज्यस्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके है साथ ही गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करवा चुके है संस्था। श्री प्रेम गौतम जी रायपुर निवासी साईकिल चलाना व तिरंगा सम्मान आदि कई बड़े सामाजिक कार्य कर पुरस्कार प्राप्त कर चुके है।
गांव कवाली के पूर्व सरपंच स्वं० पं० जयकिशन शर्मा के सुपुत्र पं० संदीप पारशर लगातार सामाजिक सेवा, बच्चों को प्रोत्साहन राशि गरीबों की मदद करके गांव के विकास में अहम भूमिका अदा करके आज जिले में पहचान बना रहे है।
BINSAR FARMS Milk Bar गांव जांटी खुर्द में भारत व न्यूजीलैंड दोनों साझा व्यापार करते हुए आधुनिक मशीनीकरण से डेयरी विकसित हो रही है इस डेयरी को केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह व रोहतक पशु मेले केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी व पूर्व कृषि मंत्री हरियाणा श्री ओम प्रकाश धनखड़ जी पुरस्कार दे चुके है। यह डेयरी 12 एकड़ में है दूध, पनीर, घी की शुद्धता के लिए विख्यात है। इस डेयरी की प्रसिद्धि को देखते है लगभग 20 देशो के प्रतिनिधि यहां भ्रमण कर चूके है।
साथ ही यही पर गांव जांटी खुर्द में ही DREAMY ORCHARD (सपना का बगीचा) रेस्टोरेंट हरियाणा की संस्कृति को बचाते हुए आधुनिक व प्राचीन दोनों का अनुठा दर्श देखने को मिलाता है। यहां का मनमोहन शुद्ध वातावरण व शुद्ध भोजन के लिए दूर दूर से लोग पार्टी करने आ रहे है जो सोनीपत का अहम हिस्सा है।
गोहाना निवासी मातूराम की जलेबी ने तो 2024 के चुनाव में पूरे देश में अपनी पहचान को ओर अधिक बढ़ा लिया है इस चुनाव में बड़े बड़े लोग गोहाना की जलेबी दिखाते खाते बाटते दिखे। सोनीपत का सारंग सिनेमा लोगो के जहन में आज भी विद्यमान है। सोनीपत के प्यारे लाल के पेड़े, सेक्टर 14 के दादा के नान, सोनीपत की मशहूर मार्केट कच्चे क्वार्टर, मुनक नहर पर गांव खूबडू की झाल, सोनीपत से लगते हुए गांव जटवाड़ा में खिज्र खां का मकबरा सोनीपत में पर्यटक के रूप से उभर रहा है। साथ में सोनीपत के मुरथल में ढाबों की छटा विशेष रूप से देखने को मिलती है जम्मू से कन्याकुमारी तक गुजरने वाले हर व्यक्ति जब हरियाणा में एंट्री करते हैं तो मुरथल के ढाबों में अपनी भूख को मिटाते है। एक कहावत भी है
मुरथल के ढाबे व मुरथल के बाबे भी मशहूर है। यहां के अलग-अलग प्रकार के व्यंजन पराठे खाने के लिए हर ढाबे पर भीड़ उमड़ी होती है चाहे आम आदमी हो या खास सब मुरथल के दाबों का मजा लेना नहीं भूलते। बाबा कलिनाथ की कुटि व गौशाला भी आस पास के लोगो की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
सोनीपत के हर गांव का देसी खानपान अपने आप में एक अलग पहचान है।
एक मोटे तौर पर देखा जाए तो सोनीपत के हर गांव का कुछ ना कुछ विशेष इतिहास है और हर गांव के किसी ना किसी व्यक्ति की विशेष अलग पहचान है जो हमें प्रेरणा देती है। हर गांव किसी ना किसी धार्मिक आस्था के साथ जुड़ा हुआ है। बैंयापुर लहराड़ा में बाबा मोहन राम का मेला लगता है। छपड़ेश्वर मंदिर खरखोदा में मेला लगता है। गांव कुंडल सोहटी व सेवली में प्राकृतिक शिव बाबा शिवलिंग प्रकट होने पर प्रतेक शिवरात्रि पर मेला, जिंदे बाबा का मेला गांव मोई माजरी, श्राद्ध के दिनों में बाबा टीले वाले बाबा का मेला व भंडारा बड़ौली गांव में लगता है आदि अन्य कई गांव मैं अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार मेले लगते है।
यहां की हरियाणवी खड़ी बोली, गांव की देहाती बोली, अलग-अलग प्रकार से हंसी- मजाक, गांव का रहन-सहन पशुपालन, खेतों से जुड़े हुए कार्य, समय के अनुसार हमारे तीज त्योहारों को आपसी मेल मिलाप के साथ भाईचारा को निभाते हुए मनाते है।

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