पानीपत में है पौने तीन ग्राम की प्राचीन कुरान

- पानीपत में कलंदर बाजार के राजकुमार सहगल 2.80 ग्राम की कुरानशरीफ को सालों से सहेजकर रखे हैं
-  एतिहासिक कलंदर दरगाह पर अरब से आए एक शेख ने उपहार स्वरूप दी थी छोटी कुरान
- चीन में बताई गई है सबसे छोटी कुरान

जितेंद्र बूरा.

समय तो नहीं रुकेगा, लेकिन वर्तमान की खास धरोहरों को अगर सहेजकर रखेंगे तो आने वाली पीढ़ियों के लिए वे इतिहास की मिसाल बनेंगी। तीन बड़ी लड़ाई के गवाह पानीपत में सालों से एक ऐसी छोटी सी धरोहर को सहेजकर रखा गया है जोकि अब आकर्षण का केंद्र बनी है। कलंदर बाजार के राजकुमार सहगल के पास 2.80 ग्राम की कुरानशरीफ बड़ी अदब के साथ रखी है। दावा है कि दुनिया की सबसे छोटी कुरानों में एक यह भी है।


कुछ साल पहले लाक, अल्बानिया में 5.2 ग्राम की कुरान होने की बात सामने आई थी, लेकिन यह उससे भी कम वजन की कुरान है। कलंदर बाजार के राजकुमार सहगल ने बताया कि उनकी दुकान पर करीब 1980 के आसपास अरब से एक शेख यहां ऐतिहासिक कलंदर शाह दरगाह में मत्था टेकने के लिए आया था। उसके पास ऐसी ही दो कुरान थी। शेख ने उनकी ज्वैलरी की दुकान से एक को चांदी के लोकेट में ढलवा लिया तथा दूसरी को उसने दुकान पर ही उन्हें उपहार स्वरूप दे दिया।
तभी से राजकुमार सहगल उसे घर में सम्मान के साथ रखे हुए हैं। कुरानशरीफ की पवित्रता बनाए रखने के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कुरान उनसे दूर न हो जाए, इसलिए यह बात अकसर गुप्त ही रखते थे। कुछ साल पहले उन्होंने लाक, अल्बानिया में 5.2 ग्राम वजन की कुरान होने की खबर अखबार में पढ़ी तो उसे लगा कि उनके पास रखी कुरान दुनिया की सबसे कम वजन की कुरान है। इसकी लंबाई 2.8 सेंटीमीटर, मोटाई 1.7 सेंटीमीटर तथा चौड़ाई दो सेंटीमीटर है।


गिनिज में पाक की कुरान का रिकॉर्ड
गिनिज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जिस कुरानशरीफ को सबसे छोटा मानकर दर्ज किया गया है, वह पाकिस्तान के डा. मो. सईद करीब बीबानी के पास है। यह 1.70 सेमी लंबी, 1.28 सेमी चौड़ी और 0.72 सेमी मोटी है। वर्ष 1982 में प्रकाशित इस कुरानशरीफ में 527 पृष्ठ हैं।

चीन में सबसे छोटी कुरान का दावा
चीनी समाचार पत्र पुपील्ड डेली में कई साल पहले प्रकाशित समाचार के अनुसार दुनिया की सबसे छोटी कुरान उत्तर पश्चिम चीन के नीनजिया प्रांत के म्यूजियम में रखी है। इसका वजन 1.1 ग्राम है। लंबाई 19.6 एमएम, चौड़ाई 13.2 एमएम और मोटाई 6.1 एमएम है। इसको छोटे से लोहे के संदूक में सुरक्षित रखा है। एक शोधार्थी के अनुसार एक चीनी मुसलमान इसको मक्का से लाया था। यह वर्ष 1949 से पहले से यहां मौजूद है।

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