तकनीक को बनाया हथियार, खुद का बाजार तलाश बने समृद्ध् किसान

जितेंद्र बूरा. ठेठ हरियाणवी

- खूंबी से बना दी प्रोटिन युक्त चाय, मधुमक्खी के जहर से त्वचा की सुरक्षा वाली क्रीम
- ऑग्रेनिक खेती वाले किसानों ने बनाया समूह अब ऑनलाइन सीधे घर भेज रहे फल, सब्जी


समृद्ध् किसान- समृद्ध भारत। इस नारे को लेकर तकनीक को हथियार बनाया। खुद फसल तैयार की, उसकी मार्केटिंग की और व्यापार भी खुद कर रहे हैं। आधुनिक खेती में मिसाल बने ये किसान अब नए शोध के साथ नए प्रोडेक्ट भी मार्केट में उतारने लगे हैं। खेती को घाटे का सौदा बताने वाले लोगों के लिए ये किसान सीख बन गए और कृषि विभाग के ब्रांड एंबेसडर। 


बड़े घरानों में जाती है मसरूम वाली चाय 


वर्ष 2008 में आस्ट्रेलिया से लेक्चर की नौकरी छोड़ अपने वतन लौटी करनाल के कुटेल गांव की सीमा गुलाटी ने खेती को नए आयाम दिए हैं। बच्चे आस्ट्रेलिया में रह रहे हैं, उन्होंने यहां अपनी खेती का नया बाजार खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि अपने ही देश में कुछ अलग करने की ठानकर वापस आई। गांव में अपनी जमीन पर मसरूम उत्पादन शुरू किया। ऑग्रेनिक सब्जी व अन्य उत्पाद बनाने शुरू किए। लोग की डिमांड बढ़ती चली गई तो उन्होंने अपने प्रोडेक्ट की पैकिंग और मार्केटिंग शुरू कर दी। हाल ही में उन्होंने कॉर्डिकेप्स मिलिट्रिज मसरूम तैयार की है। जोकि चाय की तरह पानी में उबालकर पीने से तंदरुस्ती आती है। इसके साइड इफेक्ट की बजाय शरीर को फायदते हैं। विदेशों में और देश नामी घरानों तक में इसकी पहुंच है।


मधुमक्खी के काटने को ही दवा बना डाला 



जींद के किसान अनिल संधु पिछले दस साल से मधुमक्खी पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। इसी क्षेत्र में शुद्ध् शहद की मार्केट बनाने के बाद अब शहर और मधुमक्खी पालन से कई अहम प्रोडेक्ट अब उन्होंने तैयार किए हैं। हनी को मिलाकर विभिन्न जूस, प्रागकण से सेहतमंद प्रोडेक्ट तैयार किया। नए अविष्कार के तहत उन्होंने चेहरे की छुर्रियां खत्म करने और स्कीन की संदरता बनाए रखने वाली क्रीम मधुमक्खी के चहर से बनाई है। बी बेनम कलेक्शन मशीन से मधुक्खी बॉक्सों के बीच इसे रखकर मधुक्खी का जहर लिया जाता है। इसमें कई जड़ी बुटी मिलाकर क्रीम तैयार की। 30 से 40 मधुमक्खी के कांटों से एक ग्राम क्रीम तैयार होती है। विदेश में 20 ग्राम की कीमत 20 हजार तक है लेकिन देश में इसे चार हजार तक कीमत पर उपलब्ध करवाएंगे।

वेबसाइट से घर भेज रहे अपने आर्गेनक उत्पाद 



सालों से ऑग्रेनिक खेती करने वाले किसान अब हाइटेक हो गए हैं। करनाल जिले के आठ किसानों ने ग्रुप बनाकर अब अपने उत्पादों का ई-बाजार तलाश लिया है। अपने खेत की शुद्ध सब्जी, फल व अन्य फसल को उचित दाम पर बेचने के लिए ग्रुप में फर्म बना ली। अब वेबसाइट बनाकर ऑनलाइन उपभोक्ता तलाश लिए। घरौंडा के किसान पुनीत ने बताया कि हर सप्ताह महज 500 रुपए में ऑनलाइन बुकिंग आधार पर सब्जी की बॉकेट भेजते हैं। बंधे हुए ग्राहकों को हर सप्ताह अलग- अलग सब्जियां जाती हैं। करनाल जिले में चिढ़ाऊ के मनदीप पहल ने 9 एकड़, फरीदपुर के जितेंद्र मिगलानी ने 28 एकड़, उपलाना के यजुवेंद्र ने 42 एकड़, - - नसीरपुर के जगतराम ने 8 एकड़ में ऑर्गेनिक खेती की है।

150 महिलाओं के हेल्प ग्रुप बना दिलाया स्वरोजगार 


गांव में महिलाएं भी खेती के साथ अन्य स्वरोजगार से आय कमा सकती हैं। इसका उदाहरण आसन में शादीशुदा और सोनीपत के बिधलान की बेटी मिथलेस ने दिया है। खरखौदा कॉलेज में बीए करते हुए उन्हें महिला हेल्प ग्रुप बनाने की प्रेरणा मिली। इसके बाद वे जुड़ी और सबसे पहले अपने कुनबे की महिलाओं का ग्रुप बनाया। महिलाओं ने अपने पास से रुपए जुटाकर जूट बैग व सिलाई इत्यादि शुरू की। बाद में ग्रुप में सरकारी सहायता मिलने लगी। होंसला बढ़ता गया। पिछले 15 साल में सोनीपत में 50 और रोहतक में 100 महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप बना चुकी हैं। हजारों महिलाएं अब खुद के दम पर कमा रही हैं और दूसरों को सिखा रही हैं।

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