सारे त्योहार बाजारु होगे , ईब पहले आली तीज कोन्या

कोथली
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बूड्ढी बैट्ठी घर के बारणे , छोरी पतासे बाट्टण आई

करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई

बूड्ढी बोल्ली के खाउं लाड़ो , घर की बणी या चीज कोन्या

सारे त्योहार बाजारु होगे , ईब पहले आली तीज कोन्या

कोथली तो वा होवै थी जो म्हारे टैम पै आया करदी

सारी चीज बणा कै घरनै मेरी मां भिजवाया करदी

पांच सात सेर कोथली मैं गुड़ की बणी सुहाली होंदी

गैल्या खांड के खुरमें हों थे, मट्ठी भी घर आली होंदी

सेर दो सेर जोवे हों थे, जो बैठ दोफारे तोड्या करदी

पांच सात होती तीळ कोथली मैं जो बेटी खातर जोड़्या करदी

एक बढिया तील सासू की, सूट ननद का आया करदा

मां बांध्या करदी कोथली मेरा भाई लेकै आया करदा

हम ननद भाभी झूल्या करदी झूल घाल कै साम्मण की

घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी लहर उठै थी दाम्मण की

डोलै डोलै आवै था भाई देख कै भाज्जी जाया करदी

बोझ होवै था कोथली मैं छोटी ननदी लिवाया करदी

बैठ साळ मैं सासू मेरी कोथली नैं खोल्या करदी

बोझ कितना सै कोथली मैं आंख्या ए आंख्या मैं तोल्या करदी

फेर पीहर की बणी वे सुहाली सारी गाल मैं बाट्या करदी

सारी राज्जी होकै खावैंथी कोए भी ना नाट्या करदी

कोथली तो ईब भी आवै सै गैल्या घेवर और मिठाई।

पर मां के हाथ की कोथली सी मिठास बेबे कितै ना पाई।

के करैगी उसके आगे आज की या बाजारू मिठाई।

(अनजान लेखाक को सलाम)

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