हरियाणा के 11 जिलों में पीने लायक नहीं रहा धरती का पानी

जितेंद्र बूरा.

- भिवानी, झज्जर, मेवात और सिरसा ज्यादा प्रभावित

- केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की रिपोर्ट में 334 में से 62 सैंपल फेल



हरियाणा में कहावत है- कोस कोस पे बदले पाणी और तीन कोस पे बदले वाणी...।

नेशनल वाटर क्वालिटी सब मिशन के तहत सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय केंद्र सरकार ने खराब पानी प्रभावित राज्यों से प्रपोजल मांगे हैं। हरियाणा भी इसमें शामिल किया गया है। पिछले कुछ साल में दक्षिणी और पश्चिमी हरियाणा के 11 जिलों के अधिकांश इलाकों में भू-जल का स्वाद बिगड़ा है। यहां कस्बों व गांवों के कुओं और नलकूपों का पानी, एक से अधिक घुलनशील रसायनों (फ्लोराइड, लौह तत्व या नाईट्रेट) की अधिकता के कारण, अनुपयोगी हो चुका है। कई जगह पानी खेती और कहीं पीने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की अलग-अलग जिलों से 334 सैंपल लेकर बनाई रिपोर्ट यह खुलासा कर रही है। 

रिपोर्ट अनुसार सबसे ज्यादा प्रभावित भिवानी, झज्जर, मेवात और सिरसा जिले हैं। इन जिलों में कुओं और हाथ पंपों से लिए गए 70 प्रतिशत नमूने टेस्ट में फेल हुए। यहां रासायनिक पैरामीटर औसतन सीमा से अधिक मिले। बढ़ रहे रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने हमारे जल के सभी स्रोतों, तथा तालाबों, कुओं, नदियों एवं सागर को भी प्रदूषित कर दिया है। सीजीडब्ल्यूबी की रिपोर्ट के अनुसार, इन जिलों में भूजल न केवल पीने के लिए बल्कि सिंचाई के लिए भी बेहतर नहीं है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) 2012 के मानक अनुसार पांच अन्य जिलों में फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी में 30 से 50 प्रतिशत तक पानी की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। अंबाला, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पलवल, पानीपत, पंचकुला, रोहतक, सोनीपत और यमुनानगर में मानवीय उपयोग के लिए 50 प्रतिशत से अधिक सैंपल में पानी फिट पाया गया है।

मेवात सबसे प्रभावित जिला 

सर्वेक्षण रिपोर्ट 2015 और 2016 में लिए गए अलग-अलग सैंपल के आधार पर तैयार की गई है। 334 नमूनों में 91 में पानी स्वच्छ, 181 में मध्यम स्तर का और 62 सैंपल में पीने लायक नहीं होना मिला है। सर्वे में 1176 कुएं मेवात को सबसे ज्यादा प्रभावित पाया गया है। लिए गए सर्वे सैंपल में यहां लवणता, उच्च सल्फेट, क्लोराइड और पानी की कठोरता खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर हैं। चंडीगढ़ के सीजीडब्ल्यूबी क्षेत्रीय निदेशक एस के जैन ने रिपोर्ट तैयार करते हुए बताया है कि उनकी टीम ज्यादातर मुख्य रूप से खुली खुदाई वाले कुओं और हाथ पंपों से एकत्रित नमूने थी, जो पूरी तरह या आंशिक रूप से उपयोग में थे।


केंद्र सरकार ने तय किया 1000 करोड़ का बजट

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय भारत सरकार ने नेशनल वाटर क्वालिटी सब मिशन योजना जारी की है। इसके तहत जिन राज्यों में ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल पीने लायक नहीं है, वहां योजना के तहत बजट जारी कर नहरी या बरसात आधारित पेयजल उपलब्ध करवाया जाएगा। 1000 करोड़ का बजट इसमें वर्ष 2017-18 के लिए तय किया है। हरियाणा, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरला, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और वेस्ट बंगाल की सरकारों से प्रपोजल मांगे है। मंत्रालय ने 30 जून तक प्रपोजल उपलब्ध करवाने के लिए निर्देश जारी किए हैं।


2000 एस की अधिकता खराब


पानी की लवणता इसकी विद्युत चालकता के माध्यम से जांच की जाती है। जहां कम प्रवाह केंद्र (एस/ सेंटीमीटर में मापा जाता है) कम खारापन दिखाती है। 2000 एस/सेमी से अधिक स्तर वाला पानी खराब के दायरे में आता है।



जिलावार सैंपल और पीने के पानी की स्थिति



जिला           सैंपल   750एस/सेमी,      750-3000एस/सेमी,       3000एस/सेमी



अंबाला          10,             4,                     6,                                 0,



भिवानी          35,             5,                    24,                                6,



फरीदाबाद       6,               3,                     3,                                  0,



फतेहाबाद        3,              0,                   2,                                    1,



गुरुग्राम          17,              5,                  9,                                   3,



हिसार            21,               2,                 13,                                 6,



झज्जर          20,               2,                  13,                                5,



जींद              16,               3,                  13,                                0,



कैथल            16,                 1,                  10,                                 5,



करनाल         23,                 13,                10,                                  0,



कुरुक्षेत्र         20,                 14,                 6,                                   0,



महेंद्रगढ़       11                     1,                  7,                                    3,



मेवात          11,                   2,                  4,                                     5,



पलवल         20,                   1,                  14,                                   5,



पंचकूला       18,                   12,                 6,                                   0,



पानीपत       12,                    5,                 6,                                    1,



रेवाड़ी             7,                  0,                    4                                    3,



रोहतक          14,                  1,                 8,                                    5,



सिरसा           11,                 2,                  5,                                     4,



सोनीपत         30,                 9,                  14,                                   7,



यमुनानगर      13,                 9,                 4,                                      0,



कम बारिश और अधिक निकासी कारण



पिछले सालों में कम होती जा रही बरसात और भू-जल की अधिक निकासी से पानी का स्वाद बिगड़ा है। जमीन में मौजूद तत्व पानी में मिल रहे हैं। जहां भू-जल स्तर ऊपर है, वहां खेती में अधिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से भी भूमिगत पानी खराब हो रहा है। औद्योगिक अपशिष्ट भी कई जगह कारण हैं। किसी जलस्रोत के एक लीटर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम से अधिक हो तो वह पानी, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। प्रदूषित पानी का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से हड्डी से संबंधित बीमारियों और कैंसर का कारण हो सकता है।

- सुरेंद्र बिश्नोई, सेवानिवृत, चीफ हाइड्रोलोजिस्ट, ग्राउंड वाटर सेल कृषि विभाग

जनस्वास्थ्य विभाग नहरी पानी के बढ़ाएगा

भू-जल स्तर के बिगड़ते हालात को देखते जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग नहरी आधारित पेयजल सप्लाई को और बढ़ाने की प्लानिंग करनी होगी। वर्ष 2017-18 के लिए जनस्वास्थ्य विभाग के लिए 310286 लाख रुपए बजट तय किया गया है।

प्रदेश में यह पानी सप्लाई की स्थिति

कुल 6804 गांव में सप्लाई:


127 गांव : 40 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति (एलपीसीडी) सप्लाई वाले है।
4062 गांव :  40-55 एलपीसीडी सप्लाई वाले हैं।
 2615 गांव: 70-110 एलपीसीडी सप्लाई वाले हैं।

कुल 78 शहर में सप्लाई

31 शहर : 135 एलपीसीडी सप्लाई वाले हैं।
25 शहर : 110-135 एलपीसीडी सप्लाई वाले हैं।
22 शहर : 70-110 एलपीसीडी सप्लाई वाले
हैं।  

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