देश की तीन महान लड़ाइयों के गवाह पानीपत में हैंडलूम, टेक्सटाइल का 5500 करोड़ का कारोबार


जितेंद्र बूरा. 
फेरी लगाने से से शुरू हुआआज विदेश में पानीपत के हैंडलूम का नाम  
विदेशी ताकतों से तीन लड़ाइयों के लिए जिस जमीं का इस्तेमाल किया गया आज वही पानीपत की धरती हरियाणा प्रदेश के व्यापारिक नजरिए से व्यख्यात है। आजादी के बाद पाकिस्तान से आए परिवारों ने यहां घरों में खडि्डयां लगाकर कंबल, दरी बनाने का काम शुरू किया। फेरी लगाकर गली-गली घूमकर कारोबार शुरू किया। अब पानीपत हैंडलूम का देश में 18 हजार करोड़ और विदेश में 5500 करोड़ का कारोबार है। तकनीक और चुनौती का सामना करते हुए बनाया रुतबा बनाया। आइए जाने कैसे फूला फला ये कारोबार
 
घर में खड्डी लगाकर दरीचद्दर बनाई और फेरी लगाकर गांव-गांव पहुंच कारोबार शुरू किया। व्यापार के तुजर्बे और कला के हुनर को खरीदार और वाहवाही मिली तो कारोबार बढ़ता चला गया। खड्डी की जगह आधुनिक विदेशी मशीनों ने ले ली है और घरों से निकलकर कारोबार उद्योगों में बदल गया है। आजादी से आज तक के सफर में दौड़ते हुए पानीपत टेक्सटाइल और हैंडलूम उद्योग का हब बन गया है। छोटे-बड़े 18 हजार उद्योग यहां लगे हैं और देश-विदेश में ख्याति है। विदेश में सालाना 5500 करोड़ और देश में 18 हजार करोड़ का कारोबार पानीपत के टेक्सटाइल और हैंडलूम उद्योग का है। 
हैदराबादी परिवारों ने दिखाई कारोबार की राह 
आजादी के बाद विभाजन के समय पाकिस्तान से हैदराबादी परिवार पानीपत आकर बसे। उन्होंने चद्दर और दरी बनाने का काम पानीपत में शुरू किया। एसडी कॉलेज के पीछे हैंडलूम मार्केट की जगहपुराने वार्ड 7,8,9,10,11 में चद्दरदरी का काम होता था। पंचरंगा बाजार की जगह शाल का और देशराज कॉलोनी में कंबल बनाने का काम होता था। उस्ताद नंदलाल ने यहां अनेक लोगों को इस कारोबार से जोड़ा। घरों में नीचे खड्डी लगाकर दरी व चद्दर बनाने का काम परिवार के सदस्य करते और उपर रहते थे। बनाए माल को फेरी लगाकर गांवों में बेचकर आते थे। धीरे-धीरे खरीदार शहर में उनके पास आने लगे। कारोबार बढ़ता चला गया। हैंडलूम के बाद हैंडलूम जैकर्ड फिर पावर लूम पर निर्माण से प्रोडक्ट की क्वालिटी में सुधार आता गया। अब स्टरलैस ने जगह बना ली है। उत्पादन बढ़ा तो कारोबार विदेशों तक पहुंच गया। अन्य लोग भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इससे जुड़ गए। 
विदेशों में हैंडलूम का रुतबा 
पानीपत टैक्सटाइल और हैंडलूम का विदेश में भी रुतबा है। जर्मनकनाडाअमेरिकाइंगलैंड में हैंडलूम के विशेष फेयर लगते हैं। इनमें पानीपत के डिजायन और माल की खासी तारीफ होती है और अच्छे ऑर्डर भी मिलते हैं। टैक्सटाइलकंबलमिंक ब्लेंकेटबाथमेटडाइंग और स्पीनिंग मिल सहित अन्य उद्योग ने लाख लोगों को सीधे-सीधे राेजगार दिए हुए हैं। पूरे विश्व में हैंडलूम के 42 लाख उद्योग हैं। इनमें से 39 लाख इंडिया में और 18 हजार अकेले पानीपत में हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि पानीपत यातायातसुरक्षा और कारोबारी तरक्की के लिहाज से उपयुक्त शहर है। यहां बहुत सारे उद्योगपति ऐसे भी हैंजिनकी रिहायश दिल्ली या करनाल में हैलेकिन उनका कारोबार यहां है। औद्योगिक हब होने की वजह से यहां कच्चा माल इतनी बहुतायत में उपलब्ध है कि एक-दूसरे की पूरक यूनिट के लिए भी अपार संभावनाएं हैं। 

सड़क और रेल यातायात की बेहतर सुविधा 
पानीपत में तेजी से उद्योगों के पनपने की एक वजह यह भी है कि यहां सड़क और रेल ,दोनों ही यातायात के साधन सुगम हैं। पानीपत दिल्ली से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। नेशनल हाइवे नंबर एक पर बसा होने की वजह से यहां एनसीआर और दूर-दराज के इलाके में सामान को लाने -ले जाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। दूसरी बातरेलवे का अंबाला-दिल्ली रेल सेक्शन भी पानीपत के बीचोंबीच से गुजरता हैतो रेल यातायात की सुगमता भी यहां पर्याप्त है। रेल और सड़क के साथ विदेशों में सामान लाने व ले जाने के लिए एयरपोर्ट दिल्ली के बेहद नजदीक है। ये सारे यातायात के साधन यहां के उद्योगों के विकास को गति देने का काम करते हैं क्योंकि किसी भी उद्योग के लिए यातायात एक महत्वपूर्ण साधन है। 
औद्योगिक सेक्टर पड़े हैं कम 
पानीपत में औद्योगिक सेक्टर 25 में 162 प्लाट शुरुआत में उपलब्ध करवाए गए गए थे। लेकिन उद्यमियों की मांग को देखते हुए उसका पार्ट दो तैयार किया गया। इसमें 519 प्लाट हैं। इसी तरह सेक्टर 29 में 277 प्लाट का सेक्टर विकसित किया गया था। बाद में इसका भी पार्ट दो तैयार करना पड़ा। इस सेक्टर के पार्ट दो में 670 प्लाट हैं। इस समय पानीपत में 209 मीटर की फैक्टरी के लिए प्लॉट की कीमत 60 से 70 लाख रुपए के लगभग हैतो 500 मीटर का दाम भी डेढ़ करोड़ रुपए से कम नहीं है। सेक्टर 29 पार्ट 2 में 300 के करीब डाइंग यूनिट लगी हैं।




अलग से बनाया जाए हैंडलूम सेक्टर 

पानीपत में हथकरघा टेक्सटाइल उद्योगों को बचाने के लिए अलग से हैंडलूम सेक्टर विकसित किया जाना चाहिए। नो प्रोफिट नो लोस पर 20 साल की किश्तों पर प्लाट मिले। दुर्भाग्य यह है कि 18 हजार उद्योगों के में 17 हजार अवैध स्थानों पर बने हैं। यह उनके भविष्य के लिए खतरा है। विदेशों में हथकरघा उद्यमियों की ओर से फेयर के दौरान लगाए जाने वाले स्टॉल के लिए उद्यमियों को सरकार 50 फीसदी सबसिडी उपलब्ध करवाए। वैट रिफंड प्रणाली को बंद किया जाए। वैट रिफंड में निर्यातकों को रिफंड का आठ प्रतिशत बिक्री कर अधिकारियों को देना होता। इसे बंद किया जाए। रिफंड ऑन लाइन दिलाया जाए।

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रमेश वर्मा, प्रधान, हैंडलूम निर्यातक मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन
मिंक प्लांट लगने से चाइना को टक्कर
तीन साल पहले तक चाइना के हैंडलूम की दस्तक ने यहां के उद्योग को परेशान कर दिया था। मिंक कंबल, थ्री डी बैडशीट व चद्दर की डिमांड बढ़ी। अब पानीपत में 10 से 12 मिंक प्लांट लग चुके हैं। आधुनिक मशीन आने से चाइना के माल को टक्कर देते हुए यहां के उद्योग ने किफायती दाम पर वही वैरायटी उपलब्ध करवानी शुरू कर दी है। लेबर की समस्या रहती है और उद्योग पर इससे असर पड़ रहा है। बिजली की समस्या रहती है। उद्योगों को एडवांस बिल भरने के निर्देश देना गलत है। हुडा के प्लाट लेने के बाद प्रक्रिया की उलझन भी ज्यादा है। सेक्टर 25 पार्ट 2 में 72 प्लाट डाइंग यूनिट के लिए अलॉट हुए थे। उन्हें रिज्यूम कर रखा है।

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जोगिंद्र नरुला, सचिव, पानीपत हैंडलूम एसोसिएशन


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