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आजादी के लिए खूब लड़े थे सोनीपत के क्रांतिवीर, जिंदा लोगों पर चला था कोल्हू, 3 को भेज दिया था काला पानी जो लौटकर नहीं आए

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  1857 की क्रांति से लेकर आजादी मिलने तक सोनीपत के भी क्रांतिकारियों ने झेली जेल व यातनाएं - आज भी गवाह है खूनी कोल्हू और खरखोदा का गुरुकुल सोनीपत... आजादी के संघर्ष में सोनीपत जिले का भी अहम योगदान रहा है। 1857 की क्रांति से ही यहां के क्रांतिकारियों ने अपनी भागीदारी दी। अंग्रेजों के खिलाफ बगावत में लिबासपुर के क्रांतिकारियों को लेटाकर उन पर पत्थर की गिरड़ी नुमा कोल्हू तक चलाया गया। वह आज भी यहां पार्क में लगा है। कुंडली के तीन क्रांतिकारियों को काला पानी की सजा दी जोकि लौटकर नहीं आए। खरखौदा में विद्रोह हुआ तो अंग्रेजी आक्रमण हुआ। इतिहास में भले ही यहां के क्रांतिकारियों की गाथा नाममात्र है लेकिन यहां की भागीदारी के किस्से गांव-गांव में सुने और सुनाए जाते रहे हैं। सन 1857 की क्रांति में सोनीपत के साथ से गुजरते जीटी रोड के साथ लगते गांवों के लोगों ने अंग्रेजों के नाकों चने चबा दिए थे। कुंडली, लिबासपुर, बहालगढ़, मुरथल, लड़सौली आदि गांवों के लोग जीटी रोड से गुजरने वाले अंग्रेजों को मौत के घाट उतार देते थे।   कुंडली के जांबाज रोक लेते थे अंग्रेजों की रसद  सन् 1857 की क्रांति को...

बुढ़ापे का जख्म : ना दवा मिली और न दुआ...घर से फैली बदबू ने हटाया मौत से पर्दा

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  - अकेलो रह रहे बुजुर्गों के हालात की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना जितेंद्र बूरा.. दिल्ली की नजदीकियों से आधुनिकता में दौड़ रहे सोनीपत शहर का प्राचीन क्षेत्र गुड़मंडी। ज्यादातर व्यापारिक घराने यहां हैं। पोस्ट ऑफिस वाली गली में भी घरों में शाम वाली हलचल थी। कोई ड्यूटी से लौट रहा था, कोई दुकान व अपने संस्थान से। शाम के आठ बजे चुके थे। सूर्यास्त के बाद स्ट्रीट लाइट के साथ घरों की लाइटें जल चुकी थी। सावन के महीने में घरों की रसोई में शाम के भोजन बनाने की हलचल के साथ पकवानों की धीमी-धीमी खुशबू हवाओं में फैल रही थी। लेकिन आज की शाम को जो भी अपनी गाड़ी या वाहन खड़ा कर उतरता तो रसोई के पकवानों से ज्यादा अजीब सी बदबू महसूस कर रहा था। उतरते ही घर वालों से पूछा जा रहा था कि यह बदबू कैसी...क्या हुआ है। बदबू कचरे की या किसी प्रकार की प्लास्टिक के जलने जैसी नहीं थी। यह किसी जीव के मरने के बाद शरीर से निकलने वाली बदबू थी। बदबू को महसूस करते हुए कई लोगों ने अपने घरों के कोने तक जांच लिए थे कि कहीं कोई चूहां-बिल्ली तो नहीं मरा पड़ा है। गली में भी कोई कुत्ता या पशु मरा नहीं दिखाई दिया। देखते ही दे...